अनुसूचित जाति के बीपीएल श्रेणी के परिवारों की गर्भवती देसी/स्वदेशी गाय व् भैंस के लिए राशन योजना
परिचय
राज्य में हर साल करीब 6.5 लाख गाय-भैंस गर्भवती हो जाती हैं। वे गर्भावस्था के लगभग 6 से 7वें महीने के दुग्धकाल में रहते हैं, उसके बाद उन्हें तीन महीने की शुष्क अवधि दी जाती है ताकि बछड़ा ठीक से विकसित हो सके और आने वाले दुग्धकाल में अधिकतम दूध दे सके। कम भूमि के कारण राज्य के बीपीएल परिवार गर्भवती पशुओं को पौष्टिक संतुलित आहार नहीं दे पाते हैं। इस प्रकार गाय व् बछड़े का स्वास्थ्य प्रभावित होता है और कम वजन वाले बछड़े पैदा होते हैं। हालांकि गाय व् भैंस में इष्टतम दूध देने की क्षमता होती है परन्तु पौष्टिक व् संतुलित राशन की कमी के कारण यह अपनी क्षमता तक दूध नहीं दे पाती हैं। विभाग अपने सीमित संसाधनों के कारण किसानों को उनके गर्भवती पशुओं को पौष्टिक आहार प्रदान करने में सहायता नहीं कर सकता है। अत: इस योजना के तहत गर्भवती गाय व् भैंस को पशु आहार उनकी गर्भावस्था के अंतिम तिमाही (तीन महीने) के लिए इन परिवारों को 50% अनुदान पर प्रदान किया जाएगा।
उद्देश्य
- दूध उत्पादन में वृद्धि करके किसानों को अधिक आर्थिक लाभ प्रदान करना।
- दो ब्यांत के मध्य की अवधि को कम करने के लिए, जिसके परिणामस्वरूप अंततः अधिक संख्या में बछड़े व् अधिक दुग्ध उत्पादन होगा।
- गर्भवती गायों के स्वास्थ्य में सुधार करना ताकि उनकी क्षमता अनुसार प्रसव के बाद पूर्ण दुग्ध उत्पादन प्राप्त किया जा सके।
- बीमारियों और कुपोषण से मुक्त स्वस्थ बछड़ों का जन्म सुनिश्चित करना ताकि वे बड़े होकर अधिक उत्पादन करने वाले पशु बन सकें।
- चूंकि देसी/स्वदेशी गाय व् भैंस को प्रोत्साहन दिया जा रहा है, इसलिए किसानों को ऐसे पशुओं को पालने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।
पात्रता मापदंड
अनुसूचित जाति के बीपीएल श्रेणी के परिवारों के पशुपालक जो देसी/स्वदेशी/संकर नस्ल की गाय अथवा भैंस का पालन-पोषण करते हैं।
प्रत्येक अनुसूचित जाति के बीपीएल श्रेणी के परिवार को अधिकतम दो देसी/स्वदेशी गाय व् उनके क्रॉस अथवा भैंस के लिए अनुदान प्रदान किया जाएगा।
भौतिक लक्ष्य
अनुसूचित जाति के बीपीएल श्रेणी के परिवार जो देसी/स्वदेशी गाय अथवा भैंस पालते हैं उनको गाय/भैंस की गर्भावस्था के अंतिम तिमाही के दौरान तीन महीने के लिए अधिकतम दो गाय अथवा भैंस के लिए 50% अनुदान पर संतुलित राशन @ 3 किग्रा/दिन/पशु प्रदान किया जाएगा।
कार्यान्वयन एजेंसी
पशुपालन विभाग, हिमाचल प्रदेश |
कार्यान्वयन रणनीति
- तीन महीने (गर्भावस्था की अंतिम तिमाही) के लिए 3 किग्रा/दिन/पशु की दर से संतुलित राशन उपलब्ध कराया जाएगा।
- सरकार व् लाभार्थी द्वारा लागत 50:50 के आधार पर लागत वहन की जाएगी|
- चारे की कीमत निविदा/अनुमोदित दर अनुसार होगी |
लाभ/परिणाम
- गर्भावस्था के अंतिम तिमाही के दौरान संतुलित राशन खिलाने के बाद दूध उत्पादन में 2 लीटर/दिन की वृद्धि होती है।
- इस धारणा के साथ की 300 दिनों दुग्धकाल के दौरान किसान इस दूध को @ 30/लीटर पर बेचेगा, उसकी आय में 18000 रुपये (लगभग) प्रति वर्ष की वृद्धि होगी।