कृषक बकरी पालन योजना

परिचय

बकरी पालन हिमाचल प्रदेश में समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (छोटे और सीमांत किसानों, मुख्य रूप से घुमंतु और भूमिहीन मजदूरों) का एक पारंपरिक व्यवसाय है। इन श्रेणियों के लिए इस प्रजाति को आर्थिक जीविका का प्रमुख स्रोत माना जाता है। विभिन्न प्रकार की कृषि-जलवायु परिस्थितियों में बकरियों की अनुकूलन क्षमता ने इसे गरीब किसानों के लिए उपयुक्त बना दिया है। इस योजना के तहत 11 बकरियों (10 मादा +1 नर), 5 बकरियों (4 मादा +1 नर) और 3 बकरियों (2 मादा +1 नर) बीटल/सिरोही/जमनापारी/श्वेत हिमालयी नस्लों की इकाइयों को 60% सब्सिडी पर वितरित करने का प्रस्ताव किया गया है।

योजना का उद्देश्य

समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आय सृजन के अवसरों को बढ़ाने के साथ-साथ मांस उत्पादन में वृद्धि करना।

कार्यान्वयन संस्था

पशुपालन विभाग, हिमाचल प्रदेश ।

पात्र लाभार्थी

हिमाचल प्रदेश के सामान्य/एससी/एसटी/महिला और भूमिहीन व्यक्ति जैसे सभी श्रेणियों के किसान पात्र हैं। सभी आवेदकों के लिए बकरी पालन के कौशल में प्रशिक्षण/जागरूकता अनिवार्य है। संबंधित वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी इच्छुक व्यक्तियों/आवेदकों को प्रशिक्षण प्रदान करेंगे।

निम्न कृषकों को योजना के अंतर्गत प्राथमिकता दी जाएगी:
  • बेरोजगार एससी, एसटी, बीपीएल, महिला और सामान्य वर्ग के व्यक्ति। कम से कम 30 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं हों।
  • ऐसे परिवार जहां कोई सदस्य सरकारी नौकरी में नहीं है।
  • जिन व्यक्तियों की वार्षिक आय 2 लाख प्रति वर्ष से अधिक न हो।
  • वे व्यक्ति या किसान जिन्होने स्वयं या मनरेगा के तेहत बकरी शेड का निर्माण किया है ।

कार्यान्वयन का क्षेत्र

संपूर्ण राज्य।

अनुदान

बकरी इकाइयों को 60 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध कराया जाएगा।

कार्यान्वयन रणनीति

  • इस योजना के तहत उपलब्ध कराने के लिए बकरी इकाइयों की व्यवस्था या तो राज्य के भीतर या पड़ोसी राज्यों से की जाएगी।
  • सभी जिलों के उप निदेशकों/नियंत्रक अधिकारियों को निधि सहित जिलेवार लक्ष्य उपलब्ध कराये जायेंगे।
  • पात्र किसानों से आवेदन के रूप में मांग पशु चिकित्सा अधिकारियों के माध्यम से एकत्र की जाएगी, जो आवेदक के संबंध में पात्रता मानदंड को प्रमाणित करेंगे।
  • आवेदक एक वचनबद्धता देगा कि वह आवंटित बकरी इकाइयों को कम से कम दो वर्षों तक नहीं बेचेगा।
  • संबंधित पशु चिकित्सा अधिकारी, सत्यापन के बाद, सभी आवेदन अपने क्षेत्र के वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी को प्रस्तुत करेंगे, तदौपरांत वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी संबंधित उप निदेशकों को आवेदन भेजेंगे।
  • लाभार्थियों का चयन पहले आओ पहले पाओ के आधार पर किया जाएगा।
  • उप निदेशक (प०स्व०/प्र०) मांग का संकलन करेंगे और योजना के तहत वितरण के लिए बकरी इकाइयों की खरीद के लिए एक समिति का गठन करेंगे, जिसकी खरीद हेतु राज्य या पड़ोसी राज्यों के भीतर से व्यवस्था की जाएगी और लाभार्थियों को आपूर्ति घर द्वार पर सुनिशित करेगें ।
  • उप निदेशक (प०स्व०/प्र०) योजना की वितीय रिपोर्ट निदेशालय को भेजना सुनिशित करेंगे ।
  • संबंधित पशु चिकित्सा अधिकारी स्थापित बकरी इकाइयों की उनके स्वास्थ्य देखभाल और उपचार के लिए समय- समय पर अनुवर्ति कार्रवाई सुनिश्चित करेगा और तदनुसार संकलन के बाद निदेशालय को उप निदेशक के मध्यम से रिपोर्ट निदेशालय को भेजना सुनिशित करेगा ।
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